महाभारत रत्न करतार सिंह सराभा के 125वें जन्मदिन पर पैंथर्स पार्टी की पुष्पांजलि-खोसला
New Delhi, May 24, 2021: दिल्ली प्रदेश नेशनल पैंथर्स पार्टी और भीम ब्रिगेड ने आज पैंथर्स परिवार ने क्रांतिकारी वीर शहीद करतार सिंह सराभा का 125वां जन्मदिन मनाया। पुष्पांजलि कोरोनाकाल में अपने अपने हिसाब से देने वालों में सर्वप्रथम पैंथर्स पार्टी के सुप्रीमो प्रो. भीमसिंह, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री राजीव जौली खोसला, राजस्थान पैंथर्स अध्यक्ष, श्री अनिल शर्मा, सुशील खन्ना, चमन नागर, मोहम्मद नाजीर, संजीत, सुनीता चैधरी, स्वर्णसिंह यादव, सुखदेव सिंह, महफूज खान, दीपक शर्मा, राज रानी आदि प्रमुख थे। पैंथर्स पार्टी हर क्रांतिकारी वीर का जन्मदिवस व शहादत दिवस राष्ट्रीय चेतना अभियान के अन्तर्गत राष्ट्रीय चेतना दिवस के रूप में मनाती है। शहीद करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई, 1896 में सराभा, पंजाब के लुधियाना जिले का एक चर्चित गांव में हुआ था। भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त करने के लिये अमेरिका में बनी गदर पार्टी के अध्यक्ष थे। भारत में एक बड़ी क्रान्ति की योजना के सिलसिले में उन्हें अंग्रेजी सरकार ने कई अन्य लोगों के साथ फांसी दे दी। 16 नवम्बर, 1915 को करतारसिंह को जब फांसी पर चढ़ाया गया, तब वे मात्र साढ़े उन्नीस वर्ष के थे। प्रसिद्ध क्रांतिकारी भगत सिंह उन्हें अपना आदर्श मानते थे। दसवीं कक्षा पास करने के उपरांत उनके परिवार ने उच्च शिक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें अमेरिका भेजने का निर्णय लिया और 1 जनवरी, 1912 को करतारसिंह ने अमेरिका की धरती पर पांव रखा, उस समय उनकी आयु पंद्रह वर्ष से कुछ महीने ही अधिक थी।
करतार सिंह सराभा, गदर पार्टी आंदोलन के लोकनायक के रूप में अपने बहुत छोटे-से राजनीतिक जीवन के कार्यकलापों के कारण उभरे। कुल दो-तीन साल में ही सराभा ने अपने प्रखर व्यक्तित्व की ऐसी प्रकाशमान किरणें छोड़ीं कि देश के युवकों की आत्मा को उसने देशभक्ति के रंग में रंग कर जगमग कर दिया। ऐसे वीर नायक को फांसी देने से न्यायाधीश भी बचना चाहते थे और सराभा को उन्होंने अदालत में दिया बयान हल्का करने का मशविरा और वक्त भी दिया, लेकिन देश के नवयुवकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनने वाले इस वीर नायक ने बयान हल्का करने की बजाय और सख्त किया और फांसी की सजा पाकर खुशी में अपना वजन बढ़ाते हुए हंसते-हंसते फांसी पर झूल गया।
करतार सिंह सराभा की यह गजल भगत सिंह को बेहद प्रिय थी वे इसे अपने पास हमेशा रखते थे और अकेले में अक्सर गुनगुनाया करते थे।