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यूनिफोर्म सिविल कोड आधा तो लागू हो चूका है, पूरा लागू किया जाय-खोसला

Jammu, September 07, 2020: धार्मिक सदभावना एवं विश्व शांति केंद्र मुख्यालय (एफआरएचयूपी) द्वारा आज को यूनिफोर्म सिविल कोड पर एक वेबिनार आयोजित की गई। वेबिनार में जगत गुरु शंकराचार्य, नरेन्दानंद सरस्वती, पावन चिंतन धारा के संस्थापक श्री गुरु पवन सिन्हा, विश्व अहिंसा भारती के संस्थापक अध्यक्ष आचार्य लोकेश मुनि, यहूदियों के भारतीय मुखिया रबी एजकल आईसेक मालेकर, भारत की बहाई सोसाइटी के अध्यक्ष डा. ऐ.के. मर्चेंट, रूट्स-इन-कश्मीर के संस्थापक श्री सुशील पंडित, हिन्दुओ के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दीपांकर, संचार रत्न श्री एम के सेठ, एफआरएचयूपी के राष्टीªय महासचिव कर्नल तेजेंद्र पाल त्यागी, सचिव वित्त श्रीमती उर्वशी वालिया, प्रशासनिक सचिव राजिव जौली खोसला, वूमेन इंटरनेशनल फोरम, श्रीमती रेखा अदित, एडवोकेट के. श्री कृष्णा, आईआईटी के प्रोफेसर डा.  पुलिक मोहन  पांडे, राष्ट्रीय सैनिक संस्था (दिल्ली इकाई) की सचिव डा. सपना बंसल, शिक्षा एवं स्वास्थ विंग के राष्टीªय संयोजक मेजर सुशिल गोयल ने विस्तृत विचार-विमर्श के बाद निम्नलिखित प्रस्ताव प्रारित किया।
यूनिफोर्म सिविल कोड का मतलब है कि विवाह, तलाक, गोद लेना, सम्पति विभाजन पर सब के लिए एक जैसा कानून हो, जब सुप्रीम कोर्ट मुस्लिम समुदाय को गोद लेने के लिए अधिकृत कर चुका है और जब भारत सरकार तीन तलाक की प्रथा को खत्म कर चुकी है तो युनिफोर्म सिविल कोड आधा तो लागू हो ही चुका है।
जब 42वें संविधान संशोधन से ‘धर्मनिरपेक्षता‘ शब्द जोड़ा गया, जिसमें सब धर्मो के लिए एक जैसे बर्ताव की बात कही गई। उच्चतम न्यायालय भारत सरकार को यूनिफोर्म सिविल कोड को लागू करने ले लिए चार बार कह चुका है। चीन, रूस और आस्ट्रेलिया में भी मुस्लिम रहते है, परन्तु वहाँ वे नागरिकता की बात नहीं करते अर्थात हिन्दुस्तान में यूनिफोर्म सिविल कोड का विरोध सैधांतिक नही, बल्कि राजनैतिक है। देश की सुरक्षा और विकास के लिए हम सब सरकार से पुरजोर मांग करते है की यूनिफोर्म सिविल कोड को अगले सत्र में ही पास किया जाए  अन्यथा धर्म गुरुओ और उनके अनुयायियों द्वारा राष्ट्रहित में जन आन्दोलन चलाया जाएगा।

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